ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा में एक और एसटीपी के निर्माण को हरी झंडी आईटी सिटी में 12 एमएलडी क्षमता का बनेगा एसटीपी टेंडर प्रक्रिया शुरू 42 करोड़ रुपए होंगे खर्च 12 माह में एसटीपी तैयार करने का लक्ष्य |

पुष्पेंद्र कुमार सीनियर संपादक // ग्रेटर नोएडा, यूपी

ग्रेटर नोएडा : प्राधिकरण ने सीवर को शत-प्रतिशत शोधित करने का लक्ष्य हासिल करने की तरफ एक कदम और बढ़ा दिया है। सीईओ एनजी रवि कुमार ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बाद अब आईटी सिटी में भी 12 एमएलडी क्षमता के अत्याधुनिक तकनीक वाले एसटीपी के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। इसे बनाने के लिए सीवर विभाग ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। लगभग 42 करोड रुपए की लागत वाले इस एसटीपी का निर्माण 12 माह में पूरा करने का लक्ष्य है। एनजीटी से निर्धारित पैरामीटर का पालन करते हुए यह एसटीपी ट्रसरी ट्रीटमेंट तकनीक पर आधारित होगा।

 

ग्रेटर नोएडा में चार एसटीपी बने हुए हैं। इनमें बादलपुर स्थित एसटीपी की क्षमता 2 एमएलडी, कासना स्थित एसटीपी की क्षमता 137 एमएलडी, ईकोटेक-2 स्थित एसटीपी की क्षमता 15 एमएलडी और ईकोटेक-3 स्थित एसटीपी की क्षमता 20 एमएलडी है। एक अन्य एसटीपी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-1 में निर्माणाधीन है। इसकी क्षमता 45 एमएलडी की है। दरअसल, एनजीटी ने एसटीपी से शोधित पानी को और स्वच्छ बनाने के निर्देश दिए हैं। मौजूदा समय में एसटीपी से शोधित पानी में फिकल की मात्रा 230 मिलीग्राम प्रति लीटर केसर आसपास होती है। एनजीटी ने इसे और कम करते हुए 100 से भी पर लाने को कहा है। इसमें टीडीएस व बीओडी-सीओडी की मात्रा भी इतनी कम हो जाएगी। इससे जल प्रदूषण पर भी लगाम लग सकेगी। एनजीटी के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने सीवरेज का शत-प्रतिशत शोधन करने की पर काम करने के निर्देश दिए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए सीईओ ने आईटी सिटी में 12 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के निर्माण को मंजूरी दे दी है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीवर विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा ने बताया कि आईटी सिटी में 12 एमएलडी क्षमता के अत्याधुनिक तकनीक वाले एसटीपी के निर्माण का कार्य जल्दी शुरू करने की तैयारी है। टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। करीब 42 करोड रुपए की लागत वाले इस एसटीपी की क्षमता 12 एमएलडी होगी। एसटीपी का निर्माण 12 माह में पूरा करने का लक्ष्य है। एनजीटी से निर्धारित पैरामीटर का पालन करते हुए यह एसटीपी ट्रसरी ट्रीटमेंट तकनीक पर आधारित होगा।

 

एनजीटी के निर्देशों का पालन करते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जरूरत के अनुसार एसटीपी का निर्माण कराने के लिए प्रयासरत है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एसटीपी का निर्माण शुरू हो चुका है और आईटी सिटी में टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। इसे शीघ्र पूरा कर निर्माण शुरू करने की तैयारी है। इसके साथ ही सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने पर भी काम चल रहा है।प्राधिकरण की कोशिश है कि ट्रीटेड वाटर को और स्वच्छ बनाया जा सके। शोधित पानी का इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादनों के लिए भी किया जा सकेगा। इससे भूजल स्तर को रोकने में भी मदद मिलेगी।

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