
वर्ष के अंतिम दिनों में हम शांत भाव से एकांत में आत्मचिंतन और आत्मबोध करें की हमारे द्वारा पूर्व वर्ष में जो भी कर्म अथवा कार्य किए गये थे वो सही थे या ग़लत उनका मंथन करे सही कार्यों की पुर्नावृत्ति करने और उसी प्रकार कार्यों को और अधिक जोश और कर्मठता के साथ करने का प्रण लें। और अगर जाने- अनजाने में कोई कार्य अथवा कर्म ग़लत हुए हैं तो उक्त कार्यों से सबक़ लेकर उनकी पुर्नाव्रत्ति ना करने का प्रयास करें। समस्त कार्यों की समीक्षा करने का प्रयास करें। और देखें कि क्या वो समस्त कार्य व कर्म सार्थकता से पूर्ण थे। या हमने चाहे अनचाहे किसी को अपने कर्म,वचन और वाणी से कुंठित तो नहीं किया।*क्या हम किसी पाप के भागीदार तो नहीं बने? *उत्तम कार्यों को अपने जीवन में सामवेश करें। क्या हमारे द्वारा किए गए किसी भी कार्य या हमारी वाणी से अन्य व्यक्ति प्रफुल्लित हुए और क्या उक्त व्यक्ति को आत्मशांति मिली ये अत्यंत महत्वपूर्ण है की हम जीवन में सकारात्मकता के साथ सार्थकतापूर्ण जीवन जीने की कला को सीखें जीवन को और अधिक गौरवशाली व स्वयं की प्रतिभावान बनाने के लिए प्रयासरत रहें। प्रत्येक नव दिन को हम उत्सव की तरह जियें हर पल आनंद की अनुभूति हो,पल-पल सकारात्मक विचारो से मन व हृदय को स्पंदन करें। छोटी- छोटी ख़ुशियों को बाँटना सीखें,प्रत्येक दिन कुछ नया करने और सीखने का प्रयास करते रहना चाहिए किसी की मदद करने से पीछे ना हटें प्रत्येक दिन कोई अच्छा और नेक कार्य करने का प्रयास करें ज्ञानी व्यक्तियों का सानिध्य करें नकारात्मक विचारो का तर्पण कर सकारात्मक विचारो को अपने जीवन में सम्मिलित करें |




